शनिवार, 4 दिसंबर 2021

सॉनेट

सॉनेट 
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भोर भई जागो रे भाई!
उठो न आलस करना।
कलरव करती चिड़िया आई।।
ईश-नमन कर हँसना।

खिड़की खोल, हवा का झोंका।
कमरे में आकर यह बोले।
चल बाहर हम घूमें थोड़ा।।
दाँत साफकर हल्का हो ले।।

लौट नहा कर, गोरस पी ले।
फिर कर ले कुछ देर पढ़ाई। 
जी भर नए दिवस को जी ले।।
बाँटे अरुण विहँस अरुणाई।।

कोरोना से बचकर रहना। 
पहन मुखौटा जैसे गहना।।
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५-१२-२०२१

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