ॐ
संजीव
*
छंद-लक्षण: जाति लाक्षणिक, प्रति चरण मात्रा ३२ मात्रा, यति १०-८-८-६, पदांत लघुगुरु, चौकल में पयोधर (लघु गुरु लघु / जगण) निषेध।
लक्षण छंद: यति दण्डकला दस / आठ आठ छह / लघु गुरु सदैव / पदांत हो
जाति लाक्षणिक गिन / रखें हर पंक्ति / बत्तिस मात्रा / सुखांत हो
उदाहरण:
१. कल कल कल प्रवहित / नर्तित प्रमुदित / रेवा मैया / मन मोहे
निर्मल जलधारा / भय-दुःख हारा / शीतल छैयां / सम सोहे
कूदे पर्वत से / छप-छपाक् से / जलप्रपात रच / हँस नाचे
चुप मंथर गति बह / पीर-व्यथा दह / सत-शिव-सुंदर / नित बाँचे
२. जय जय छत्रसाल / योद्धा-मराल / शत वंदन नर / नाहर हे!
'बुन्देलखंडपति / यवननाथ अरि / अभिनन्दन असि / साधक हे
छंद सलिला:
दण्डकला छंद
संजीव
*
छंद-लक्षण: जाति लाक्षणिक, प्रति चरण मात्रा ३२ मात्रा, यति १०-८-८-६, पदांत लघुगुरु, चौकल में पयोधर (लघु गुरु लघु / जगण) निषेध।
लक्षण छंद: यति दण्डकला दस / आठ आठ छह / लघु गुरु सदैव / पदांत हो
जाति लाक्षणिक गिन / रखें हर पंक्ति / बत्तिस मात्रा / सुखांत हो
उदाहरण:
१. कल कल कल प्रवहित / नर्तित प्रमुदित / रेवा मैया / मन मोहे
निर्मल जलधारा / भय-दुःख हारा / शीतल छैयां / सम सोहे
कूदे पर्वत से / छप-छपाक् से / जलप्रपात रच / हँस नाचे
चुप मंथर गति बह / पीर-व्यथा दह / सत-शिव-सुंदर / नित बाँचे
२. जय जय छत्रसाल / योद्धा-मराल / शत वंदन नर / नाहर हे!
'बुन्देलखंडपति / यवननाथ अरि / अभिनन्दन असि / साधक हे
बल-वीर्य पराक्रम / विजय-वरण क्षम / दुश्मन नाशक / रण-जेता
थी जाती बाजी / लाकर बाजी / भव-सागर नौ/का खेता
थी जाती बाजी / लाकर बाजी / भव-सागर नौ/का खेता
३. संध्या मन मोहे / गाल गुलाबी / चाल शराबी / हिरणी सी
शशि देख झूमता / लपक चूमता / सिहर उठे वह / घरनी सी
कुण्डी खड़काये / ननद दुपहरी / सास निशा खों-/खों खांसे
देवर तारे ससु/र आसमां बह/ला मन फेंके / छिप पांसे
शशि देख झूमता / लपक चूमता / सिहर उठे वह / घरनी सी
कुण्डी खड़काये / ननद दुपहरी / सास निशा खों-/खों खांसे
देवर तारे ससु/र आसमां बह/ला मन फेंके / छिप पांसे
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(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अरुण, अवतार, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़ियाना, उपमान, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामिनीमोहन, काव्य, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दण्डकला, दिक्पाल, दीप, दीपकी, दोधक, दृढ़पद, नित, निधि, निश्चल, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रभाती, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदन,मदनावतारी, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, मृदुगति, योग, ऋद्धि, रसामृत, रसाल, राजीव, राधिका, रामा, रूपमाला, लीला, वस्तुवदनक, वाणी, विरहणी, विशेषिका, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुद्ध ध्वनि, शुभगति, शोभन, सरस, सार, सारस, सिद्धि, सिंहिका, सुखदा, सुगति, सुजान, सुमित्र, संपदा, हरि, हेमंत, हंसगति, हंसी)
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.in
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