गीत
सबकी अपनी-अपनी राम कथाएँ हैं।
सबकी अपनी-अपनी करुण - व्यथाएँ हैं....
अपने-अपने पिंजरों में हैं कैद सभी।
और चाहते हैं होना स्वच्छंद सभी।
श्वास-श्वास में कथ्य-कथानक हैं सबमें-
सत्य कहूँ गुन-गुन करते हैं छंद सभी।
अलग-अनूठे शिल्प-बिम्ब-उपमाएँ हैं
सबकी अपनी-अपनी राम कथाएँ हैं.....
अक्षर-अजर-अमर हैं आत्माएँ सबकी।
प्रेरक-प्रबल-अमित हैं इच्छाएँ सबकी।
माँग-पूर्ती, उपभोक्ता-उत्पादन हैं सब।
खन-खन करती मोहें मुद्राएँ सबकी।
रास रचता वह, सब बृज बालाएँ है
सबकी अपनी-अपनी राम कथाएँ हैं.....
जो भी मिलता है क्रेता-विक्रेता है।
किन्तु न कोई नौका अपनी खेता है।
किस्मत शकुनी के पाँसों से सब हारे।
फिर भी सोचा अगला दाँव विजेता है।
मौन हुई माँ, मुखर-चपल वनिताएँ हैं।
सबकी अपनी-अपनी राम कथाएँ हैं.....
करें अर्चना स्वहितों की तन्मय होकर।
वरें वंदना-पथ विधि का मृण्मय होकर।
करें कामना, सफल साधना हो अपनी।
लीन प्रार्थना में होते बेकल होकर।
तृप्ति-अतृप्ति नहीं कुछ, मृग- त्रिश्नाएं हैं।
सबकी अपनी-अपनी राम कथाएँ हैं.....
यह दुनिया मंडी है रिश्तों-नातों की।
दाँव-पेंच, छल-कपट, घात-प्रतिघातों की।
विश्वासों की फसल उगाती कलम सदा।
हर अंकुर में छवि है गिरते पातों की।
कूल, घाट, पुल, लहर, 'सलिल' सरिताएँ हैः।
सबकी अपनी-अपनी राम कथाएँ हैं.....
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आचर्य जी,
जवाब देंहटाएंसादर नमस्ते,
मेरा यह पहला प्रयास है आपसे संवाद स्थापित करने का, ऐसा मैं सोचता हूँ कि आप अन्यथा नही लेगें.
आपकी दोहा कक्षाओं को अपने डेस्कटॉप पर डाल लिया है, इस कोशिश में हूँ कि किसी दिन आपके विचारार्थ प्रस्तुत करने की हिम्मत जुटा सकूं.
आज के दौर में बड़ी ही सामायिक सीख है कि :-
करें अर्चना स्वहितों की तन्मय होकर।
वरें वंदना-पथ विधि का मृण्मय होकर।
करें कामना, सफल साधना हो अपनी।
लीन प्रार्थना में होते बेकल होकर।
तृप्ति-अतृप्ति नहीं कुछ, मृग- त्रिश्नाएं हैं।
सबकी अपनी-अपनी राम कथाएँ हैं.....
आदर सहित,
मुकेश कुमार तिवारी
सलिल जी,
जवाब देंहटाएंआपकी कविता मुझे बहुत अच्छी लगी.
आपके ब्लॉग ने मुझे सचमुच प्रभावित किया है.
आप का ब्लोग मुझे बहुत अच्छा लगा और आपने बहुत ही सुन्दर लिखा है !
जवाब देंहटाएंसुन्दर हिन्दी में एक सुन्दर रचना के लिए साधुवाद |
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर,
जवाब देंहटाएंआपने मेरे ब्लॉग पर टिप्पणी दी....और आपके सुझावों से मुझे आगे लिखने के लिए मार्गदर्शन मिलेगा ....आपको हार्दिक धन्यवाद ...मै गजल की शौकीन हूँ ....आगे भी अपनी गलतियों पर आपका मार्गदर्शन चाहूंगी ........उम्मीद है की आप इसपे जरूर ध्यान देंगे....
आपका ब्लॉग पढ़ा.....काफी अच्छा लगा...खासकर भजन वाला ..समय निकाल कर बाकी के ब्लोग्स भी जरूर पढूंगी..
.धन्यवाद....
आप कि कलम ने सचमुच एक सर्वथा नई फसल को जनम दिया है शुद्ध हिंदी पढ़ कर प्रेरणा मिलती है
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